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उद्देश्य एवं प्रतिबद्धताएँ (Introduction) :
कुछ बातें, आपसे
इस महाविद्यालय के सन्दर्भ में ......
सबसे पहले यह कि महाविद्यालय क्यों ?
इसलिए नहीं कि नौजवान दोस्तों के बीच साल-दर-साल कुछ डिग्रियाँ बाँटी जाएँ ।
इसलिए भी नहीं कि बेरोजगारों की लम्बी-चौड़ी फ़ौज में कुछ टुकड़ियाँ इस महाविद्यालय की ओर से भी
और इसलिए तो नहीं कि शिक्षा के बाज़ार में कुछ पूँजी का निवेश हो जाए। वरन इसलिए कि डिग्रियाँ-उपाधियाँ नौकरी के आवेदनों में न्यूनतम योग्यताओं के सिर्फ प्रमाण-पत्र भर होकर न रह जाएँ, अपितु आपकी अधिकतम सक्षतमा के अभिन्नतम दस्तावेज भी बने ।
इसलिए कि रोजगार की संभावनाओं की तलाश ही नहीं, अवसरों की उपलब्धता के भी हिसाब से शिक्षा का स्वरुप तय हो सके। और सबसे अधिक इसलिए कि शिक्षा के क्षेत्र में बाज़ार की हृदयहीन चालाकियों से परहेज की तमीज विकसित हो सके ।
वस्तुतः शिक्षा, मुक्ति की तकनीक है, तो परिवर्तनों का आख्यान भी । संस्थापित व्यवस्था का बोझ ढ़ोने वाले यंत्र की अपेक्षा शिक्षा हमेशा विकास की गतिकी में नवीन परिवर्तनों को कन्धा देने वाले जागरूक दिमाग विनिर्मित करती है ।
शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य है कि इसे समाज की भावी जरूरतों के साथ जोड़ा जा सके । यह भ्रम की प्रतिष्ठा संस्थापित करे और भावी रोजगार के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें । यह उचित शिक्षा से ही सम्भव है कि आदमी भद्र होने के लिए भद्दा होने से इनकार करे । सफलता की चकाचौध में सार्थकता कही खो न जाए, क्योंकि अपने लिए, अपने परिवार के लिए रोजगार प्राप्त करना, कुछ पैसों का उपार्जन कर लेना, अच्छी बात है । लेकिन समाज के लिए तो इसका कोई भी मतलब तभी बनता है जब यह वह सामाजिक रोटी के आकार को भी बढ़ाएं । शिक्षित होने का क्या मतलब जब हम दो-चार-पाँच को कम से कम साक्षर भी न बना सकें ।
क्षेत्र के सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास के लिए प्रतिबद्ध "ॐ शिव सेवा संस्थान" के जनोन्मुखी सोच एवं सामूहिक बोध का ही प्रतिफलन है, संत ग्राम्यांचल महाविद्यालय । यह पूर्णतः सामूहिक प्रयासों की सामूहिक परिणति है ।
अतः हम सबकी कोशिश होगी कि इस महाविद्यालय के माध्यम से क्षेत्र की आकांक्षाएं संतुष्ट हो सके ।
हमारी दृढ़ मान्यता है कि बिना स्थानीय हुए, सार्वभौम नहीं हुआ जा सकता । गड़हांचल की बोली-बनी, जड़-जमीं एवं लोगबाग के प्रति अप्रतिहत आस्था और उन सबके साथ गहरी सम्पृक्ति ने ही कुछ आँखों में, इस क्षेत्र में एक महाविद्यालय के सपने को रोपा था।
कोई बहुत बड़ा सांस्कृतिक समुच्चय हो, या छोटा से छोटा अस्मिता, जैसे हमारा गइहांचल, स्त्रियों की स्थिति ही सांस्कृतिक विकास के संस्तरों की सूचक होती है और विकास की अवधारणा के मूल में शिक्षा है । पूरे गईहांचल में उच्चतर शिक्षा हेतु किसी स्तरीय संस्थान का न होना, महिला लोक में शिक्षा के प्रचार -प्रसार को तो अनुपस्थित कर ही देता था, हमारे पिछड़ेपन के अवसाद को और भी गहरा जाता है । इस क्षेत्र के शैक्षणिक विकास में, विशेष कर स्त्री-शिक्षा के क्षेत्र में संत ग्राम्यांचल महाविद्यालय यदि स्थितियों को कुछ भी बेहतर कर सका, तो हमारा श्रम थोड़ी बहुत सार्थकता पा सकेगा ।
हाँ, कुछ जुनूनी लोग है, जरुर । ओम शिव सेवा संस्थान जुड़े लोगों की सामाजिक प्रतिबद्धता अक्सर जूनून की शक्ल में ढलती रही है । गाँव के पुस्तकालय से जुडी गतिविधियाँ हो, तब चाचा नेहरू के जन्म दिवस पर बाल मेले का आयोजन हो तब । और ये सारी की सारी गतिविधियाँ अपने ग्राम्यांचल सुरही को केन्द्र में रखकर । और अब संत ग्राम्यांचल महाविद्यालय, नामकरण से लकर निर्माण की पूरी प्रक्रिया में वही ग्राम-गांधी चेतना का जुनून और क्या यह सच नही है की किसी भी जनोन्मुखी अभियान के सामाजिक सरोकार, बिना जुनून की हद तक गए कभी सधे नहीं है ।
वैसे भी यह पूरा उद्यम एक स्वघटित को परघटित में विन्यस्त कर देने की उद्दाम लालसा से शुरू हुआ । इस समाज में अपनी और अपने में समाज की भूमिकाओं की पहचान की कोशिश भी कह सकते है । कुछ व्यक्तिगत खुशियों की सामाजिक अभिव्यक्ति भी कह सकते है । हम नहीं चाहते कि संसाधनों के अभाव की दुहाई दे कर शिक्षा के विस्तार को अवरुद्ध किया जाए । हमने उस धारणा को चुनौती स्वरूप लिया कि उच्चतर शिक्षा के लिए जरुरी आधारभूत संचरना गाँवों में उपलब्ध नहीं हो सकती । यह कम बड़ी विसंगति नहीं कि , उच्चतर शिक्षा के अधिकांश केन्द्र शहरों में है तब जबकि भारत गाँवों का देश है और अस्सी प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है फिर ये शैक्षणिक विकास के जो शिखर खड़े हैं, किसकी कीमत पर ?
सरकार ने इस विसंगति पर बड़ी गम्भीरता से ध्यान दिया है। हम भी विकास की तरलता के इच्छुक है, जो गाँव -गाँव और आम जन तक पहूंचे, चाहे वह आर्थिक विकास हो चाहे शैक्षणिक । महात्मा गाँधी कशी विद्यापीठ, वाराणसी ने भी पूरे पूर्वांचल के शैक्षणिक माहौल को एक गारिमा प्रदान की है । उसी के अधीनस्थ ओम शिव सेवा संस्थान ने संत ग्राम्यांचल महाविद्यालय के माध्यम से गडहांचल के लोकबोध की अक्षुण परम्परा में उच्च शिक्षा के प्रचार -प्रसार के लिए जिस प्रतिबद्धता का परिचय दिया है आप का सहयोग उसे सम्बल देगा ।